मानसिक स्वास्थय और ध्यान साधना
Home About Blog Contact X EN | ID June 17, 2020 From Fearful to Fearless:…
इस भाषण में मानसिक स्वास्थय के महत्व को संक्षेप में समझाने का प्रयास करूंगा | मन को अस्वस्थ करने वाले कारणें पर भी प्रकाश डाला गया है| मानसिक स्वास्थय के महत्व के साथ मन को स्वस्थ रखने के लिये ध्यान साधना के महत्व पर भी चर्चा की जाएगी |
स्वस्थ मन (Healthy Mind) के लिये स्वस्थ शरीर (healthy body) सबसे जरूरी है | स्वस्थ शरीर के अतिरिक्त पारिवारिक (family), सामाजिक (social), आर्थिक (financial), राजनीतिक परिवर्तन (Political Change) भी व्यक्ति के मन (mind) को अस्वस्थ (unhealthy) कर सकते हैं | जिस प्रकार शरीर कमजोर होने पर रोग जीवाणुओं का शिकार बन जाता है, उसी प्रकार मन भी क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष, अंधविश्वास (anger, jealousy, hatred, superstition) आदि से युक्त हो जाता है | अत: मन को स्वस्थ रखने के लिये व्यक्ति के मन का डर, चिन्ता, क्रोध, अंधविश्वास (fear, anxiety, anger, superstition) आदि से मुक्त (free) होना अत्यन्त आवश्यक है |
व्यक्ति के मन के अस्वस्थ होने का मुख्य कारण है अशांत मन (troubled,restless mind) | मन के अशांत होने के भी विभिन्न कारण हो सकते हैं | भौतिक युग (Modern Age) में प्रत्येक व्यक्ति की ईच्छायें (wishes) दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, इसके विपरित ईच्छाओं की पूर्ति करने वाले संसाधनों (Resources) में कमी होती जा रही है | जिसके लिय व्यक्ति स्वयं को ही दोषी मानता है | धीरे धीरे व्यक्ति के मन में यह बात घर कर जाती है कि वह उदास होकर ईधर उधर घूमता है या अकेले में सोचता रहता है, अशांत रहता है | इसी अशांति के परिणामस्वरूप वह हीनता का अनुभव करता है जो बाद में मन के अस्वस्थ होने का कारण बन जाता है |
कई बार यह भी देखा गया है कि धार्मिक कर्मकाण्ड/मान्यतायें (religious rituals/beliefs) व्यक्ति के सोचने की क्षमता के प्रभावित करती है | समाज में ऐसी कई मान्यतायें/कर्मकाण्ड प्रचलित है जिनके कारण व्यक्ति का मन अशांत हो जाता है |
सत्ता या राजनीतिक परिवर्तन (government or political change) भी व्यक्ति के मन को सीधे प्रभावित करते हैं उदाहरण के तौर पर जब एक निश्चित विचारधार का राजनीतिक दल सत्ता प्राप्त कर लेता है तो अन्य दूसरी विचारधारा के राजनीतिक दल का समर्थन करने वाले लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है कि उनकी विचारधारा खतरे में हैं | यह भी मन के अशांत होने का महत्वपूर्ण कारण है |
अशुद्ध भोजन, मानसिक आघात, धन की कमी, पारिवारिक कलेश, अपने अतिप्रिय का वियोग, पढाई में पिछड़ जाना, नशीले पदार्थों का सेवन, अनियमित जीवन शैली, अपमान (Impure food, mental trauma, lack of money, family discord, separation from a loved one, lagging behind in studies, drug abuse, irregular lifestyle, insult) आदि अनेक कारणों से व्यक्ति का मन अस्वस्थ हो जाता है |
मानसिक स्वास्थय का व्यक्ति के जीवन में कितना महत्व है इस बात को बोधिसत्व तथागत गौतम बुद्ध के निम्नलिखित उपदेशों से समझा जा सकता है
“अस्वस्थ मन के कारण व्यक्ति के पीछे दु:ख इस प्रकार हो लेता है जिस प्रकार बैल के पीछे गाड़ी”
“स्वस्थ मन के कारण व्यक्ति के पीछे सुख इस प्रकार हो लेता है जिस प्रकार बैल के पीछे गाड़ी”
व्यक्ति का मन सभी क्रियाओं में प्रधान है |
जो व्यक्ति उसने मुझे मारा, हराया आदि विचार अपने मन में रखता है उनकी दुश्मनी कभी समाप्त नहीं होती |
जो व्यक्ति उसने मुझे मारा, हराया आदि विचार अपने मन में नहीं रखता है उनकी दुश्मनी समाप्त हो जाती है |
गौतम बुद्ध के उपदेशों को पढ़ने से यह बात अच्छी तरह समझ में आ जाती है कि मनुष्य का मन विभिन्न कारणों से अशांत है | यदि व्यक्ति को सुखी रहना है तो मन का स्वस्थ होना जरूरी है | बिना स्वस्थ मन के मनुष्य के सुखी जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है | बेहतर जीवन के लिये मानसिक स्वास्थय आवश्यक है | छात्रों के लिये जरूरी है परीक्षाओं को सामान्यतौर पर ही लें | संतुलित भोजन, पुरी नींद (balanced diet, adequate sleep) लेना जरूरी है |
ध्यान, सभी औषधियों में से सर्वश्रेष्ठ औषधि है, ध्यान का अभ्यास करने से शरीर तो स्वास्थ्य रहता ही साथ ही मन भी स्वस्थ रहता है । ध्यान के लगातार अभ्यास से मन एकाग्र रहता है । ध्यान हमें याद दिलाता है की वास्तविक प्रसन्नता बाहरी भौतिक वस्तुओं में नहीं बल्कि हमारे मन, हृदय के भीतर है ।
ये हमें ही तय करना होता है कि हम अपने मन और जीवन को स्वयं से बाहर कि वस्तु अथवा किसी व्यक्ति द्वारा नियंत्रित करने दे या फिर अपने मन जीवन को नियंत्रित करने वाले हम स्वयं हो । ध्यान ही दुनिया मे सिर्फ ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा हम अपने मन को नियंत्रित कर सकते हैं ।
यदि आप वास्तव मे प्रसन्न रहना चाहते हैं, तो ध्यान आपकी सहायता कर सकता है । ध्यान के नियमित अभ्यास से भटकता हुआ मन एकाग्र होता है, मानसिक तनाव कम होता है, स्मरण शक्त बढ़ती है । ध्यान के नियमित अभ्यास से हम अपने क्रोध, ग़ुस्से, ईर्ष्या को भी कम कर सकते है । ध्यान साधना का अभ्यास का एकमात्र तरीका आँख बंद करके बैठने और सांस आदि का अवलोकन करना नहीं है । आप चलते समय, फोन पर बात करते समय, खाते समय, सोते समय, पढ़ते समय, खेलते समय, ट्रेफिक जाम में, आदि आदि अनेक तरीके है ध्यान साधना के ।
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